महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में

महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) Essay in hindi :-

हेलो दोस्तों आज के इस Article में मैं आपको बताऊंगा की Women Empowerment kya hain तो आज हम आपको  इसमें आपको उसका पूरा मतलब समजाया जायेगा वह भी हिन्दी में तो यह Post आपके लिए है तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते है भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने 'अनेकता में एकता' के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग भारतीय समाज में रहते हैं। 

हर धर्म में महिलाओं को एक अलग स्थान दिया गया है, जो कई वर्षों से लोगों को एक बड़े घूंघट के रूप में और एक आदर्श के रूप में महिलाओं के खिलाफ कई शारीरिक और मानसिक कार्य जारी रखने में मदद कर रहा है। है। प्राचीन भारतीय समाज, अन्य भेदभावपूर्ण प्रथाओं के साथ, सती, नगर वधू, दहेज, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में लड़कियों की हत्या, कार्यस्थल, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल श्रम, बाल विवाह और देवदासी प्रथा की परंपरा थी। 

आदि ऐसे विकृतियों का कारण पितृसत्तात्मक समाज और पुरुष मुक्ति है। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक विशेष रूप से गंभीर समस्या है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा 2012 में किए गए एक सर्वेक्षण में भारत को जी -20 देशों में महिलाओं के लिए सबसे खराब देश के रूप में स्थान दिया गया। भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं 

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में


कि 2012 के दौरान महिलाओं के खिलाफ 2,44,270 अपराध हुए (प्रति 100,000 महिलाओं पर 41 अपराधों की दर)। इन अपराधों में 24,923 बलात्कार (प्रति 100,000 महिलाएं), 8,233 दहेज-संबंधी हत्याएं (प्रति 100,000 महिलाएं) और पतियों या उनके रिश्तेदारों (प्रति 100,000 महिलाओं) द्वारा 1,06,527 गालियां शामिल हैं। 

इसके अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, 36% विवाहित महिलाओं ने अपने जीवनसाथी द्वारा शारीरिक शोषण जैसे धक्का, थप्पड़, पीटा, गला घोंटा, जलाया या हथियार के रूप में अनुभव किया है। । इसके अलावा, लगभग तीन चौथाई महिलाएं हैं जिन्होंने अपने खिलाफ हिंसा का अनुभव किया है 

लेकिन कभी मदद नहीं मांगी। इससे पता चलता है कि NCRB डेटाबेस गंभीर अंडर-रिपोर्टिंग से ग्रस्त है और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या NCRB ने जो Reports की है, उससे कहीं अधिक मौजूद है, जबकि निस्संदेह हर दिन अलग-अलग भूमिकाएं निभा रही हैं

प्रस्तावना :-

प्रस्तावनाकिसी भी समाज में महिलाएं महिलाओं का एक स्तंभ है। कोमल बेटियाँ, संवेदनशील माताएँ, समर्थ सहयोगी और हमारे आस-पास के अन्य लोग बड़ी कुशलता और सौम्यता के साथ कई भूमिकाएँ निभा रहे हैं, लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका की उपेक्षा करता है। 

परिणामस्वरूप, महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। ये बंधन सदियों से महिलाओं को पेशेवर और व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से रोकते रहे हैं। 

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रसिद्ध वाक्य, "लोगों को जगाने के लिए", महिलाओं के लिए जागृत होना महत्वपूर्ण है। चूंकि एक बेहतर शिक्षा घर पर शुरू हो सकती है, बचपन से, एक राष्ट्र बनने वाली महिलाओं के उत्थान के लिए एक स्वस्थ परिवार की आवश्यकता होती है। सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। 

आज भी, कई पिछड़े क्षेत्रों में, माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी के कारण कम उम्र में शादी और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए, सरकार महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव और हिंसा आदि को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। एक बार जब वह अपना कदम बढ़ाती है, तो परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है। और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख है। 

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में


भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सबसे पहले उन सभी राक्षसी विचारों को मारना आवश्यक है जो समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारते हैं 

जैसे दहेज, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी और इसी तरह के विषय। लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक अंतर लाता है जो देश को पीछे की ओर ले जाता है 

भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना ऐसी बुराइयों को मिटाने का सबसे प्रभावी तरीका है। 

महिला सशक्तिकरण के माध्यम से, यह संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाले महिला-पुरुष समानता वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश के साथ बदल दिया जाए। महिला सशक्तीकरण की मदद से परिवार का हर सदस्य बिना ज्यादा मेहनत किए आसानी से विकास कर सकता है। 

एक महिला को परिवार में हर चीज के लिए बहुत जिम्मेदार माना जाता है, इसलिए वह सभी समस्याओं को अच्छी तरह से हल कर सकती है महिला सशक्तिकरण से पूरा समाज अपने आप मजबूत हो जाएगा प्राचीन से आधुनिक तक

महिला सशक्तिकरण क्या है :-

आज भी कई महिलाएं दहेज प्रथा कन्या भूण भूर्ण हत्या घरेलू हिंसा यौन शोषण इत्यादि की शिकार होती जा रही हैं कैसे कैसी विडंबना है कि आज हमारे राष्ट्र में इन सब कुरीतियों को हटाने के लिए कानून का सहारा लेना पड़ रहा है क्यों जरूरत पड़ रही है 

हमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ हत्या निषेध दहेज प्रथा उन्मूलन इत्यादि अभियानों की लेकिन क्या हमने कभी विचार किया है क्या सभी समस्याएं समस्याओं का समाधान कानून द्वारा ही किया जा सकता है तो मेरा मानना है नहीं तो ऐसा कदापि नहीं हो सकता कि हम कानून के सहारे ही बैठ बैठकर सब चीज सुधार सकते हैं 

क्योंकि जब तक हर एक व्यक्ति अपनी सोच को विकसित नहीं करेगा तब तक चाहे कितने ही कानून बन जाए इन समस्याओं से निजात नहीं पाया जा सकता और इसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी | वह पहली औरत कौन होगी जो दहेज के कारण जलाई गयी होगी मैं नहीं जानती शायद मेरी मां होगी लेकिन वह आखरी औरत कौन होगी जो दहेज के कारण जलाई जाएगी मैं नहीं जानती शायद वह मेरी बेटी होगी और मैं ऐसा होने नहीं दूंगी | 

अब हम देखते हैं कि जैसे कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार नारी जीवन के दो पक्ष रहे हैं सकारात्मक व नकारात्मक जहां महिलाएं एक और आसमान की ऊंचाइयों को छू रही हैं 

जैसे कि सुषमा स्वराज कल्पना चावला पीवी सिंधु झूलन गोस्वामी मीरा कुमारी इत्यादि स्वर्णिम उदाहरण है स्वर्णिम का मतलब होता है मतलब चमकते हुए भारतीय इतिहास को एक विशेष दर्जा प्राप्त करते हैं अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देना तथा समाज में उसके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है 

भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा से उच्च स्थान मिला हुआ है ऐसा कहा जाता है जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है देश समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरूरी है इसलिए 8 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी बुरी सोच को खत्म करना जरूरी है 

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में


जैसे दहेज प्रथा महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा यौन हिंसा और शिक्षा अशिक्षा कन्या भ्रूण हत्या और समानता बाल मजदूरी यौन शोषण वेश्यावृति इत्यादि देश की आजादी के बाद भारत को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच बड़ा अंतर पैदा हुआ ओं को उनके उनके मौलिक और सामाजिक अधिकार जन्म से ही मिलनी चाहिए महिला सशक्तिकरण तब माना जा सकता है 

जब महिला को यह निम्नलिखित अधिकार दिए जाएं -

1. वह अपनी जीवनशैली के अनुसार स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकती हैं सकते हैं चाहे वह घर हो या बाहर 

2. किसी प्रकार प्रकार की शिक्षा प्रदान करते समय उनसे भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए 

3. तीसरा समाज के सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को बराबरी में लाना बेहद जरूरी है 

4. वह घर पर या बाहर काम के स्थान सड़क सड़क पर सुरक्षित आ जा सके 

5.  उसे एक आदमी के की तरह समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए था 

6. महिलाओं के प्रति लोगों के मन में सम्मान की भावना होनी चाहिए 

7. वह अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र महसूस करती हूं 

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पास किए गए कुछ अधिनियम है :-

1. अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956  

2. दहेज रोक अधिनियम 1961 

3. लिंग परीक्षण तकनीकी 1994 

4. बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006

5. टर्न ऑफ डेट 1987 टर्न ऑफ 1987 

6. कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013 

हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कहा है कि जब तक हमारे देश के सभी महिला और पुरुष साथ मिलकर काम नहीं करेंगे तब तक हमारे देश का पूरी तरह से विकास नहीं होगा पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है 

महिलाएं अपने स्वास्थ्य शिक्षा नौकरी तथा परिवार देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है वह क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है अंततः कई वर्षों के बाद सही राह पर चलने के लिए उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है आज महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वह केवल पुरुषों के बराबर ही नहीं उसे आगे भी हैं जो घर संभालने के साथ साथ साथ-साथ बाहरी दुनिया में भी अपना नाम रोशन कर रही है 

महिला सशक्तिकरण की ज़रूरत क्यों :-

सदियों से महिलाओं को पुरुषों के शोषण और भेदभाव से मुक्त करने के लिए सशक्तिकरण की आवश्यकता है; महिलाओं की आवाज को हर तरह से दबाया जाता है। महिलाएं दुनिया भर में पुरुषों द्वारा प्रचलित हिंसा और भेदभावपूर्ण प्रथाओं के विभिन्न रूपों का लक्ष्य हैं। 

भारत भी अछूता नहीं है। हर धर्म हमें महिलाओं के साथ सम्मान और शिष्टाचार से पेश आना सिखाता है। आज के आधुनिक समाज में, सोच इतनी विकसित हो गई है कि बुराइयों और प्रथाओं, दोनों शारीरिक और मानसिक, महिलाओं के खिलाफ आदर्श बन गए हैं। 

जैसे कि सत्यप्रथा, दहेज प्रथा, पुरदाह, भ्रूण हत्या, पत्नी को जलाना, यौन हिंसा, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और विभिन्न प्रकार के भेदभावपूर्ण व्यवहार; ऐसे सभी कार्यों में शारीरिक और मानसिक तत्व शामिल होते हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध या अत्याचार अभी भी बढ़ रहे हैं। 

इनसे निपटने के लिए समाज के वृद्ध लोगों के मन को सामाजिक योजनाओं और संवेदीकरण कार्यक्रमों के माध्यम से बदलना होगा। इसलिए, महिला सशक्तीकरण का विचार न केवल अपनी दर्दनाक स्थिति से ऊपर महिलाओं की ताकत और कौशल बढ़ाने पर केंद्रित है, बल्कि महिलाओं के संबंध में पुरुषों को शिक्षित करने और महिलाओं के प्रति सम्मान और कर्तव्य की भावना पैदा करने के लिए भी जरूरत पर जोर देता है

महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ :-

भारत सरकार ने 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष (स्वशक्ति) घोषित किया। सन् 2001 में महिलाओं के सशक्तिकरण की नीति पारित की गई देश में ना तो महिलाओं को सशक्त बनाने वाली सरकारी योजनाओं की कमी है और ना ही स्त्री विमर्श करने वालों की। फिर भी लगता है कि जो कुछ भी हो रहा है, वह व्यवहारिक जीवन में हमारे आसपास के परिवेश में नजर नहीं आ रहा है

नारी सुशक्तिकरण की आवश्यकता :-

दुनिया की आधी आबादी नारी की हैं नारी की उन्नति के बिना राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं हैं किसी विद्द्यान ने खूब कहा हैं अगर आप बेटे को पढ़ाते हैं तो अपना घर सुधारते हैं अगर बेटी को पढ़ाते हैं  

तो पूरा समाज सुधारता हैं आज नारी को पुरुष के समतुल्य लाने की जरुरत हैं जबतक भारतीय नारियाँ सुशिक्षित नहीं होगी उन्हें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक नारी सुशक्तिकरण का सपना पूरा नहीं होगा केवल आरक्षण मिलने से नारी सुशक्तिकरण नहीं होगा उचित सुरक्षा और संरक्षण की जरुरत पड़ेगी

Conclusion :-

जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कोई भी देश सफलता के शिखर पर तब तक नहीं पहुंच सकता | 

जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर ना चले जब यह भारत विकासशील नहीं विकसित देशों में गिना जाएगा तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार संपूर्ण लागू होगा हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है 

क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है अगर यह Article आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ Share करना ना भूले | इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें Comments करके जरूर बताएं 

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