पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध हिन्दी मैं

Pandit Jawaharlal Nehru Essay In hindi :-

हेलो दोस्तों आज के इस Article में मैं आपको बताऊंगा की Pandit Jawaharlal Nehru के बारे मैं तो आज हम आपको  इसमें आपको उसका पूरा मतलब समजाया जायेगा वह भी हिन्दी में तो यह Post आपके लिए है तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते है आज मैं आप सभी को एक निबंध बताने जा रहा हूं जी हां फ्रेंड आज हम लोग जो सिखेंगे बो निबन्ध है Pandit Jawaharlal Nehru | 

आज हम लोग Pandit Jawaharlal Nehru के बारे में जानेंगे आजादी  की लड़ाई के प्रमुख नायकों में से एक रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन परिचय को इस आर्टिकल में देखेंगे  आधुनिक भारत के शिल्पकार के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू को जाना जाता है बच्चे पंडित जवाहरलाल नेहरू  से बेहद प्यार करते थे और उतना ही प्यार पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से था 

और यही वजह है 14 नवंबर उनकी जन्मतिथि को  बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है  दोस्तों पंडित जवाहरलाल नेहरू को  आज के इस भारत में भी  बढ़कर आने वाले समय के विकास की रणनीति बनाई जाती है आज के इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ कर उनके जीवन से शिक्षा लेने का प्रयास कीजिए पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है उनका जन्मदिन देश के बच्चों के लिए उनके मान प्रेम और स्नेह के कारण  बाल दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है 

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध हिन्दी मैं


पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के मुताबिक बच्चे देश के उज्जवल भविष्य देश का उज्जवल भविष्य बच्चों की उज्जवल भविष्य पर ही निर्भर करता है पंडित जवाहरलाल नेहरू जी एक महान राजनीतिक नेता और बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे उनका भारत की आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान था नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे 

क्योंकि नेहरू जी बच्चों को देश का उज्जवल भविष्य मानते थे पंडित जवाहरलाल नेहरु की शादी 1915 में हो गई उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को एक बेटी थी उनका नाम इंदिरा गांधी था आगे चलकर यही देश की प्रधानमंत्री बनी और इंदिरा गाँधी नाम से जानी गईं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का प्रारंभिक जीवन :-

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ईसवी को इलाहाबाद में  एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनका पूरा नाम जवाहरलाल मोतीलाल नेहरू था उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम  सरूपा रानी था  मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद एक प्रसिद्ध वकील थे पंडित जवाहरलाल नेहरु जी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं

पंडित जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा :-

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिताजी मोतीलाल नेहरू जी का शुरू से ही विचार था कि अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दी जाए और यही कारण था कि विश्व की प्रसिद्ध  स्कूलों और कॉलेजों  मैं नेहरू जी ने अपनी पढ़ाई  पूरी की पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा टेरिटरी कॉलेज कैंब्रिज लंदन से पूरी की थी इसके बाद उन्होंने अपने लॉ की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की थी

कांग्रेस में आगमन और गाँधी जी से मुलाकात :-

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले और मिलने के बाद नेहरू जी गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया था पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था 

उनका संघर्ष भारत की आजादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इंग्लैंड में 7 साल व्यतीत किए जिसमें वहां  के समाजवाद और राष्ट्रवाद के लिए  एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया गया इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत  की शुरुआत करी  उनका ध्यान भी स्वतंत्रता संग्राम की तरफ गया और महात्मा गांधी जी के चल रहे गतिविधियों में उनकी रूचि बढ़ी सन 1919  मैं वो महात्मा गांधी के साथ हो गए राजनीति में उनकी असली शिक्षा 1919 में हुई  जब वो महात्मा गांधी के संपर्क में आए  

उस समय महात्मा गांधी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी को सक्रिय और  शांतिपूर्ण सविनय  और अवज्ञा आंदोलन के प्रति खास आकर्षित हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के उद्देश्यों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया | 

पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू ने महंगे कपड़े और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया और अब वे खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1920 से 1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया 

कुछ महीने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया 1929 में  जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस का मुखिया चुना गया  समय ऐसा था जब पूरे देश  मैं पूर्ण स्वराज की मांग करी जा रही थी 

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने  देश के लिए 26 जनवरी को रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज की मांग करते हुए सर्वप्रथम तिरंगा झंडा लहराया सन 1942 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा उठाया और यह बात ब्रिटिश सरकार को पसंद ना आई  ब्रिटिश सरकार ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को जेल में डाल दिया 

उनके इस बहादुरी के कार्य ने पूरे भारतवर्ष में स्वतंत्रता के लड़ने के लिए एक आग सी फैला दी कहा जाता है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू गांधीजी के काफी करीबी दोस्त थे और दोनों में पारिवारिक संबंध भी बहुत अच्छे थे यह भी कहा जाता है कि महात्मा गांधी के कहने पर ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के प्रधानमंत्री बनने का दायित्व उठाया था 

वही पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी जी के  विचारों से काफी प्रभावित थे पंडित जवाहरलाल नेहरू को महात्मा गांधी जी के शांतिपूर्ण आंदोलन से एक नई सीख और ऊर्जा  मिलती थी यही वजह है कि महात्मा गांधी जी के संपर्क में आने के बाद उनके हर आंदोलन में उनका साथ देते थे 

लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की राजनीति के धर्म निरीक्षण रवैया गांधी जी के धार्मिक और परंपरा के नजरिए से थोड़ा अलग था दरअसल महात्मा गांधी जी भारत के गौरव पर बल देते थे जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक विचारधारा पर बल देते थे

पहले प्रधानमंत्री का पद :-

15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को प्रधानमंत्री बनाया गया प्रधानमंत्री बनने के साथ-साथ उन पर बहुत सारे दायित्व सोफे गए जहां सबसे बड़ा जो  दायित्व था वो था  की भारत आधुनिक काल में विश्व स्तर पर इसको कैसे अपनी पहचान दी जाए जहां विज्ञान प्रौद्योगिकी में पूरा देश आगे बढ़ रहा था जर्मनी और अमेरिका जैसे देश तकनीक के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ गए थे 

दायित्व यह था कि भारत को उच्च स्तर पर कैसे लेकर के आया जाए  पंडित जवाहरलाल नेहरू इसमें बहुत  माहिर थे उन्होंने खुद की शिक्षा इसी परिप्रेक्ष्य में करी थी पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद विश्व स्तर विश्वविद्यालयों में पढ़कर भारत वापस लौटे थे  वहां के स्तर को बखूबी और इसके इंपोर्टेंस को भी जानते थे कि शिक्षा एक बार अच्छी कर दी जाए तो किस तरीके से वह समाज निर्माण में अहम भूमिका निभाती है 

यही देखते हुए उन्होंने आईआईटी जैसे संस्थानों की नीम रखी जब वह प्रधानमंत्री थे इस तरीके से कई सारे इंस्टिट्यूट खोलें गए और मेडिकल कॉलेज  भी खोलें गए थे जिससे भारत में भी इस तरीके की तकनीक विकसित होने शुरू हो गए और यही कारण है पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पक्षधर थे इसलिए उन्होंने आधुनिक सोच पर भारत की मजबूत नीम का निर्माण किया और शांति ओम संगठन के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की रचना की प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के विकास के लिए  महत्वपूर्ण काम किए इसके साथ ही  उन्होंने राष्ट्र की मजबूत नीम रखी

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु :-

पंडित जवाहरलाल नेहरू का चीन के साथ उनके संघर्ष के थोड़े समय के बाद ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था और उसके बाद  उन्हें 27 मई 1964 को दिल का दौरा पढ़ा था और वह इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय राजनीति के वो चमकते सितारे है जिनकी इर्द-गिर्द आज भी भारत की राजनीति घूमती है देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर पूरे भारत को उन्होंने  गौरवान्वित किया है और पूरा देश उन पर नाज करता है और उन्हें उनके जन्मदिवस पर नमन करता है

Conclusion :-

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान नेता तो थे ही थे  लेकिन इसके साथ साथ एक कमाल के वक्ता थे और   उतने ही कमाल के लेखक थे अपने जीवन में उन्होंने कई किताबें लिखी जिनका प्रभाव आज भी देखा जा  सकता है 

प्राचीन भारत से स्वतंत्रता संग्राम तक पूरे भारत में समझने के लिए डिस्कवरी ऑफ इंडिया उनकी  लिखी किताब आज भी बहुत प्रसिद्ध है और इसी तरीके से विश्व हिस्ट्री को उन्होंने बखूबी से लिखा है और यह भी काफी ग्लोबली पूरे विश्व स्तर पर बेहद प्रसिद्ध किताब मानी जाती है 

उनकी कलम से लिखी हुई हर शब्द सामने वाले पर गहरा असर  डालती है और इसके साथ ही लोग उनकी किताबें पढ़ने के लिए काफी इच्छुक रहते है उनकी आत्मकथा भी 1936 में प्रकाशित की गई थी तो दोस्तों हम आशा करते हैं 

कि आपको आज का हमारा यह विषय पंडित जवाहरलाल नेहरू बहुत अच्छा लगा होगा उम्मीद करता हूँ  कि आप सभी को हमारा यह post जरूर पसंद आया होगा और अगर आप सभी को हमारा यह post पसंद आया है 

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